May 24, 2007

शायर: नामालूम

हम पर दुःख का पर्वत टूटा, तब हमने दो चार कहे
उसपे भला क्या बीती होगी जिसने शेर हजार कहे
...
अश'आर मेरे यूं तो ज़माने के लिए हैं
कुछ शेर फकत उनको सुनाने के लिए हैं

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