Jun 2, 2007

शायर: अख़्तर / मीना कुमारी

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शेर कहते हो बहुत खूब तुम अख़्तर लेकिन
अच्छे शायर ये सुना है कि जवां मरते हैं
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शाम तन्हा है, आसमां तन्हा
दिल मिला है कहॉ कहॉ तन्हा

बुझ गई आस, थम गई ज्योति
थरथराता रहा धुँआ तन्हा
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